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लेखनी प्रतियोगिता -20-Jun-2022 सास की अमानत

                        "नीरू  शिवा मेरा देवर ही नही यह मेरी सासु माँ की   सौपी हुई अमानत है। और तुम यह अच्छी तरह समझ सकती हो कि अमानत को कैसे रखा जाता है। शिवा को में अपने बेटे से ज्यादा प्यार करती हूँ ": संचिता अपनी सहेली को समझाती हुई बोली।


      उसकी सहेली नीरू हसती हुई बोली," तू सही कहरही है वह तेरी सास की दी हुई अमानत है लेकिन यह अमानत ही हमे कभी कभी बहुत  दुःख देती है मेरी बहिन के साथ ऐसा ही हुआ था। उसकी आपबीती याद करके मुझे आज भी घबराहट हो जाती है। मेरी बहिन ने  भी तेरे से अधिक अपने देवर को प्यार कियाथा। "

              "  क्या हुआ था तेरी बहिन के साथ जो तू इतनी परेशान होगयी। जब तक तू मुझे बतायेगी नही मूझे कैसे मालूम होगा। ", संचिता अपनी सहेली से पूछने लगी।

     "देख संचिता मै उस दुर्घटना को याद नही करना चाहती हूँ परन्तु आज तेरा बैसा ही प्यार देखकर  मुझे यह सब  बरबस ही याद आगयी।" नीरू बोली।

     " अब तू कुछ बतायेगी भी अथवा यूँ ही बोले जायेगी। ?" संचिता नाराज होती हुई बोली।

   "सुन तुझे आज मै अपनी बहिन की सच्ची दुर्घटना सुनाती हूँ।" इतना कहकर वह बोली " मेरी बहिन का नाम अबंतिका है उसकी सास बहुत बीमार रहती थी उसका एक छोटा बेटा था वह उस समय दस बारह साल का था । उसकी सास अपने बेटे अमन को उसके हाथ मे देकर बोली," बहू यह मेरा बहुत प्यारा बेटा है इसे तू अपना बेटा समझ कर ही रखना। मेरा कोई नही पता ऊपरवाले का कब बुलाबा आजाय और जाना पडे़।"

         अबंतिका बोली," माँजी आप ऐसी बातै करके अपना और हमारा जी क्यौ खराब करती हो। आपको कुछ नही होगा।  मै अमन को  अपने बेटे से अधिक मानूँगी। "

   कुछ दिन बाद उसकी सास स्वर्ग सिधार गयी।  मेरी बहिन ने उसको बेटे की तरह पाला उसे अपने साथ सुलाती  उसके पति अलग सोते वह भाभी के साथ सोता था। मेरी बहिन ने अपनी कोई सन्तान को भी नही जन्म दिया।

            परन्तु अमन बहुत ही नालायक निकला वह दोस्तौ के साथ मौबाइल पर पार्न फिल्में देखने लगा।और  वह अब अपनी भाभी को नहाते समय छिप छिपकर देखने लगा। अबन्तिका इन सब से दूर थी उसने इसपर कोई ध्यान नहीं दिया। और अब अमन भाभी को माँ न समझ कर उसे कुछ और ही समझने लगा। जब कि अबन्तिका  उसे अपने बेटे की तरह प्यार करती थी।

      एक दिन अबन्तिका के पति बाहर गये थे।  अमन रात को भाभी के कमरे ही सोगया जबकि अब वह अठारह साल का होगया था। अतः अब अबंतिका उसे अलग कमरे में सुलाती थी। आज अमन अपनी भाभी से बोला," मुझे अकेले डर लग रहा है मै आपके कमरे में ही सोऊँगा। "

      उसकी भाभी ने अपने कमरे में सुला लिया । अमन का मन तो बिचलित होरहा था। जैसे ही अबंतिका नींद के आगोस में गयी  अमन अपनी भाभी के साथ सोगया।  और उसके साथ छेड़ छाड़ करने लगा औरजैसे अबंतिका जगी वह उसके ऊपर था । अबंतिका एक बार तो काँप गयी और उसने सोचा यह इस समय पागल है इस लिए इसको बहलाना होगा।
  
       अबंतिका भी उसे झूँठा प्यार करने लगी ।  क्यौकि वह जानती थी इससे  बचने के लिए नाटक करना होगा। फिर वह बोली मै अभी आती हूँ इतना कहकर वह बहाना बनाकर कमरे से बाहर जाकर उसने कमरे को बाहर से बन्द कर दिया। और अपने पति को फौन करके सब बता दिया और उसी समय पति को आने के लिए बोला।। 

             अबंतिका को आज बहुत दुः ख होरहा था कि जिसके लिए वह माँ नही बनी और वह उसके साथ ऐसा ब्यबहार करेगा।

        अपने पति के आने पर दरवाजा खोला गया वह कमरे में नहीं था वह पीछे की खिड़की तोड़कर फरार होगया था।  अमन को बाद में पुलिस ने पकडा़ और  वह अपराधी बन गया।

      इस कहानी को सुनकर संचिता बहुत परेशान होगयी।  जब शाम को उसके पति आये उसको परेशान देखकर इसका कारण पूछा तब  उसने पूरी कहानी बताई। जिसे सुनकर उसके पति ने उसे विश्वास दिलाया ऐसा कुछ नही होगा लेकिन संचिता अब सतंर्क होगयी थी।

       संचिता के साथ ईश्वर की कृपा से बैसा कुछ नही हुआ।  शिवा पढ़कर एक बडा़ अफसर बनकर  आया और अपनी भाभी को माँ से अधिक चाहा। इसतरह वह आज नीरू से बोली,"  देख  नीरू मेरा बेटा अफसर बन गया।  अब मुझे कोई चिन्ता नही है।

दैनिक प्रतियोगिता के लिए रचना।
नरेश शर्मा " पचौरी "
20/06/2022


       
       

        


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8 Comments

Seema Priyadarshini sahay

22-Jun-2022 11:10 AM

बहुत खूबसूरत

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Pallavi

21-Jun-2022 05:07 PM

Nice 👍

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Dr. Arpita Agrawal

21-Jun-2022 12:49 PM

बहुत खूब 👌👌👌

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